अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बोल्टन ने एक बार फिर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों पर करारा हमला बोला है। ब्रिटिश मीडिया चैनल LBC को दिए इंटरव्यू में बोल्टन ने कहा कि ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच जो कभी गहरी दोस्ती थी, वह अब खत्म हो चुकी है। उनका कहना है कि अमेरिका-भारत संबंधों को ट्रम्प प्रशासन ने कई दशक पीछे धकेल दिया है। "ट्रम्प की दोस्ती काम नहीं आई" बोल्टन ने कहा कि ट्रम्प और मोदी के रिश्ते शुरूआत में बहुत मजबूत थे। दोनों नेताओं को कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे के साथ देखा गया। लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि ट्रम्प जैसे नेता के साथ व्यक्तिगत संबंध कठिन समय से नहीं बचा पाते। यह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर सहित अन्य विश्व नेताओं के लिए भी एक सबक है। बोल्टन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब ट्रम्प 17 से 19 सितंबर तक ब्रिटेन के दौरे पर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नेताओं को समझना चाहिए कि ट्रम्प की दोस्ती दिखावटी हो सकती है और मुश्किल हालात में यह किसी देश को नहीं बचा सकती। भारत पर 50% टैरिफ: "अमेरिका की भारी भूल" इससे पहले अगस्त में CNN को दिए इंटरव्यू में बोल्टन ने भारत पर 50% तक टैरिफ लगाने को "भारी भूल" बताया था। उन्होंने कहा कि अमेरिका वर्षों से भारत को रूस और चीन से दूर रखने की कोशिश करता रहा है, लेकिन ट्रम्प प्रशासन की नीतियों ने इस रणनीति को कमजोर कर दिया है। 27 अगस्त से भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया है, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया है। बोल्टन का मानना है कि यह कदम उल्टा असर डाल सकता है और भारत को रूस व चीन के और करीब धकेल सकता है। "दोस्त-दुश्मन पर एक जैसा टैरिफ गलत" अमेरिकी अखबार द हिल में लिखे अपने आर्टिकल में बोल्टन ने कहा कि अमेरिका का "दोस्त और दुश्मन दोनों पर एक जैसा टैरिफ" लगाना एक गंभीर गलती है। इससे अमेरिका की दशकों पुरानी विश्वसनीयता कमजोर हो रही है। उनका कहना है कि आर्थिक फायदा बहुत कम है लेकिन दीर्घकालिक नुकसान का खतरा बड़ा है। भारत-चीन-रूस की नजदीकी से अमेरिका चिंतित आपको बता दें, हाल ही में चीन के तियानजिन में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भारत, चीन और रूस के शीर्ष नेताओं की एकजुटता ने अमेरिका की चिंता और बढ़ा दी है। फोटो सेशन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ नजर आए। मोदी ने रूस को "विशेष और विश्वसनीय साझेदार" बताया, वहीं शी जिनपिंग ने कहा कि "दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देशों को दोस्त होना चाहिए।" इस संदेश ने साफ कर दिया कि एशियाई शक्तियां आपसी सहयोग बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। भविष्य की दिशा बोल्टन और अन्य विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रम्प की नीतियों ने भारत-अमेरिका संबंधों को गहरी चोट पहुंचाई है। अमेरिका अब भारत की नीतियों पर भरोसा खो सकता है और भारत भी लंबे समय तक इन टैरिफ को याद रखेगा। क्रिस्टोफर पैडिला जैसे विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं कि इन फैसलों का असर आने वाले वर्षों तक रहेगा और भारत-अमेरिका संबंधों की नींव कमजोर हो जाएगी। कुल मिलाकर, बोल्टन का बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि ट्रम्प प्रशासन की नीतियों ने न केवल भारत-अमेरिका रिश्तों को पीछे धकेला है, बल्कि भारत को रूस और चीन के और करीब ला दिया है। आने वाले समय में यह वैश्विक राजनीति का संतुलन बदल सकता है। Comments (0) Post Comment
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