भारत के नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन ने 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण कर ली है। राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राधाकृष्णन को शपथ दिलाई। उनका कार्यकाल 11 सितंबर 2030 तक रहेगा। राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और वेंकैया नायडू भी समारोह में मौजूद थे। खास बात यह रही कि इस्तीफा देने के 53 दिन बाद पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी पहली बार किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नजर आए। धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था। शपथ और कार्यक्रम राधाकृष्णन ने शपथ ईश्वर के नाम पर अंग्रेजी में ली। शपथ ग्रहण समारोह का समापन राष्ट्रगान से हुआ। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने राज्यसभा के सभी नेताओं के साथ बैठक करने का कार्यक्रम भी रखा है, जो दोपहर 12:30 बजे शुरू होगी। चुनाव और मतों का विवरण चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन को 9 सितंबर को भारत का 15वां उपराष्ट्रपति चुना गया था। उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 452 वोटों से हराया। कुल 781 में से 767 सांसदों ने मतदान किया, जिससे वोटिंग प्रतिशत 98.2% रहा। इनमें से 752 वोट वैध और 15 वोट अवैध थे। राधाकृष्णन को एनडीए का समर्थन 427 सांसदों से प्राप्त था, लेकिन दिलचस्प बात यह रही कि YSRCP के 11 सांसदों ने भी उनका समर्थन किया। इसके अलावा, 13 सांसदों ने चुनाव में मतदान से परहेज किया। इसमें बीजू जनता दल (BJD) के 7, भारत राष्ट्र समिति (BRS) के 4, शिरोमणि अकाली दल का 1 और एक निर्दलीय सांसद शामिल थे। परिणामस्वरूप, राधाकृष्णन को उम्मीद से 14 वोट ज्यादा मिले, जिससे विपक्षी खेमे में क्रॉस-वोटिंग की अटकलें लगाई जा रही हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल से इस्तीफा राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति बनने से पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी आधिकारिक बयान में इसकी पुष्टि की गई। उनके इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा। जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात शपथ ग्रहण के बाद राधाकृष्णन ने पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात की और नई जिम्मेदारियों को लेकर उनसे चर्चा की। उनका लक्ष्य राज्यसभा के प्रभावी संचालन और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूती देना बताया जा रहा है। राधाकृष्णन की शपथ ग्रहण के साथ ही भारत के संवैधानिक नेतृत्व में एक नया अध्याय शुरू हुआ है। उनकी राजनीति में निष्पक्षता, अनुभव और प्रशासनिक क्षमता को ध्यान में रखते हुए यह उम्मीद जताई जा रही है कि वह उपराष्ट्रपति के रूप में राज्यसभा की कार्यवाही को सुचारू और लोकतांत्रिक बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएंगे। इस प्रकार, चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन का चुनाव और शपथ ग्रहण भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण और शांतिपूर्ण संकेत माना जा रहा है। Comments (0) Post Comment
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: चुनावी तैयारियों का दौरा 30 सितंबर के बाद, तारीखों की संभावना Sep 22, 2025