आसिम मुनीर, ट्रंप की मुलाकात पर इमरान का झटका, कहा, ‘मार्शल लॉ चल रहा है’

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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान एक बार फिर गरम हो उठे हैं। हाल में ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की मुलाकात ने इमरान के गुस्से को भड़काया।

उन्होंने अडियाला जेल से ट्वीट किया कि “पाकिस्तान में अब हाइब्रिड मॉडल नहीं, पूरे नाम के साथ मार्शल लॉ चल रहा है।”

इमरान खान ने ट्वीट में लिखा कि असली शक्ति अब प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के हाथ में नहीं, बल्कि सेना के जनरल के पास है। वो बोले कि ट्रंप ने भी यही समझा और इसलिए सीधे सेना प्रमुख से मिले।

इमरान का कहना था कि अगर मुल्क का सच जानना हो तो प्रधानमंत्री तक बात नहीं, बल्कि अगर बात करनी है तो जनरल आसिम मुनीर से होनी चाहिए।


ड्रोन हमलों पर इमरान का तीखा हमला

बहस केवल मुलाकात तक सिमटकर नहीं रह गई। इमरान ने खैबर पख्तूनख्वा में हालिया ड्रोन हमलों में हुई मासूमों की मौत का जिक्र करते हुए कहा कि ये आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली कार्रवाई है। उन्होंने मांग की कि KP सरकार इन ड्रोन हमलों के खिलाफ FIR दर्ज करे।

इमरान ने याद दिलाया कि उन्होंने दुनिया भर में अमेरिकी ड्रोन हमलों के विरोध में प्रदर्शन किए और उनका रुख आज भी वैसा ही सख्त है।

उनके अनुसार निर्दोषों की हत्या से ही आतंक बढ़ा है, और इस लापरवाही को हल्के में नहीं लिया जा सकता।


बजट को लेकर इमरान का दबाव

इमरान खान KP सरकार पर सीधे दबाव बना रहे हैं। उन्होंने KP नेताओं अली अमीन, शिबली, तैमूर झगड़ा को आदेश दिया कि वो बजट पास करने से पहले उनसे विमर्श करें।

इमरान का कहना है कि “ये अंतिम बजट नहीं है, मेरी सलाह के बाद संसोधन कर मंजूरी दी जाए।”

उन्होंने IMF और वित्तीय योजनाओं को भी चेताया कि KP सरकार की बात को आधार बनाकर बिना उनकी मंजूरी कोई वित्तीय प्लानिंग न बनाई जाए।

इमरान ने कहा कि अगर अन्य राज्य सिवाय KP जमा नहीं दे रहे तो KP के टैक्स से संघीय सरकार को राहत देना अन्याय है, और वह इसे रोकेंगे।


मीडिया, सोशल मीडिया, जनता की आवाज बनी

इमरान खान ने इस सरकारी व्यवस्था को मीडिया पर लगाम भी बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि “आज मुख्यधारा की मीडिया या बंद करा दी गई है, या खरीद ली गई है। 

सच की आवाज अब सिर्फ सोशल मीडिया पर बची है।” उनका मानना है कि यही जनता की सच्ची ताकत है, जिसने बड़े बदलाव की राह खोल दी।


सेना की बढ़ती ताकत पर सवाल

ट्रम्प-आसिम की मुलाकात ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अगर एक लोकतांत्रिक देश में सबसे बड़ी मुलाकात प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के बजाय सेना प्रमुख से हो रही है, तो फिर वहां लोकतंत्र है या सेना का शासन?

इमरान इस सवाल को जोर-शोर से उठा रहे हैं। बतौर विरोधी वो पूछ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान अब एक खुला मार्शल लॉ राज्य बन गया है? क्या सरकार और संसद के फैसले सेना के भरोसे चल रहे हैं?


पाकिस्तान में लोकतंत्र या सेना का किला?

यह मुद्दा अब केवल इमरान खान या विपक्ष तक सीमित नहीं रहा। मीडिया और आम जनता भी ARMY की बढ़ती भूमिका पर सवाल उठा रही है।

राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि ट्रंप जैसे वैश्विक नेता जब सेना प्रमुख से मिलते हैं, तो पाकिस्तान में लोकतंत्र की तस्वीर खुद झूठी दिखाई देती है।

इससे पाक-भितर एक नई बहस छिड़ गई है, वास्तविक सत्ता कहां है और उसे कौन चला रहा है?

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