PM मोदी की विदेश यात्रा बनी भारत की सांस्कृतिक ब्रांडिंग का ग्लोबल मॉडल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 जुलाई से 9 जुलाई 2025 तक पांच देशों का आधिकारिक दौरा किया और इसे केवल राजनीतिक मुलाकातों या द्विपक्षीय समझौतों तक सीमित नहीं रखा।


इस एक हफ्ते की विदेश यात्रा को उन्होंने भारत के सांस्कृतिक राजदूत के रूप में भी इस्तेमाल किया।


इस दौरे में प्रधानमंत्री ने त्रिनिदाद एंड टोबैगो, घाना, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने वहां के राष्ट्राध्यक्षों को जो उपहार दिए, वे भारत की सांस्कृतिक विविधता और शिल्पकला की समृद्धता के प्रतीक बने।


खास बात ये रही कि उन्होंने तोहफों के रूप में भारत के अलग-अलग राज्यों, उत्तर प्रदेश (अयोध्या), बिहार, राजस्थान और महाराष्ट्र, की संस्कृति और कला को प्रतिनिधित्व करने वाले आइटम्स दिए।


  1. त्रिनिदाद एंड टोबैगो: राम मंदिर और सरयू जल की सौगात


प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिनिदाद एंड टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर को एक बेहद खास उपहार दिया, अयोध्या के श्रीराम मंदिर की चांदी की प्रतिकृति। यह प्रतिकृति उत्तर प्रदेश के शिल्पकारों द्वारा हाथ से तैयार की गई है।


इसे भेंट कर प्रधानमंत्री ने न सिर्फ राम मंदिर की भव्यता को सामने रखा बल्कि अयोध्या को धार्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में प्रमोट किया।


इसके साथ ही, उन्हें सरयू नदी का पवित्र जल भी भेंट किया गया। यह जल एक धातु के कलश में ले जाया गया, जो परंपरा और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है। सरयू को हिंदू धर्म में पाप नाशक और शुभता का प्रतीक माना जाता है।


इससे साफ है कि मोदी ने त्रिनिदाद जैसे भारतीय मूल के लोगों वाले देश में न केवल संबंधों को मजबूती दी, बल्कि जड़ों से जुड़ने का भी संदेश दिया।


  1. अर्जेंटीना: चांदी का शेर और मधुबनी पेंटिंग


अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली को प्रधानमंत्री ने राजस्थान के शिल्पकारों द्वारा बनाई गई चांदी का शेर प्रतिमा भेंट की।


यह शेर फ्यूचसाइट स्टोन बेस पर रखा गया था, जो न सिर्फ ताकत और नेतृत्व का प्रतीक है, बल्कि राजस्थानी धातुकला और रत्नकला की उत्कृष्टता का भी उदाहरण है।


वहीं, अर्जेंटीना की उपराष्ट्रपति विक्टोरिया विलारुएल को पीएम मोदी ने बिहार की प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग भेंट की, जिसमें सूर्य को दर्शाया गया था।


यह पेंटिंग मिथिलांचल की पारंपरिक कला है, जो बोल्ड लाइनों, प्राकृतिक रंगों और प्रतीकात्मक डिजाइन के लिए जानी जाती है।


इस उपहार के माध्यम से प्रधानमंत्री ने बिहार की लोककला को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया और भारत के ग्रामीण और पारंपरिक कारीगरों की प्रतिभा को सराहा।


  1. ब्राजील: वारली पेंटिंग से महाराष्ट्र की झलक


ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा को प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र की पारंपरिक वारली पेंटिंग भेंट की।


यह पेंटिंग आदिवासी जीवन, प्रकृति और मानव भावनाओं को बेहद सरल लेकिन प्रभावशाली चित्रों के जरिए दर्शाती है।


वारली कला की खासियत यह है कि यह आमतौर पर मिट्टी, चावल के पेस्ट और गेरू रंगों से बनाई जाती है और इसमें ज्यामितीय आकृतियों के ज़रिए रोजमर्रा की जीवनशैली को दर्शाया जाता है।


इस भेंट से प्रधानमंत्री ने न केवल महाराष्ट्र की सांस्कृतिक जड़ों को दर्शाया बल्कि लोककला की वैश्विक स्वीकार्यता को भी बल दिया।


  1. सांस्कृतिक कूटनीति का संदेश


प्रधानमंत्री मोदी की यह विदेश यात्रा केवल राजनीतिक और आर्थिक संबंधों तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक कूटनीति (Cultural Diplomacy) का एक शानदार उदाहरण बनी।


तोहफों के जरिए उन्होंने भारत के विविध राज्यों की कला, परंपरा और भावनाओं को देश की सीमाओं से बाहर ले जाकर दुनिया के शीर्ष नेताओं तक पहुंचाया।


उन्होंने यह भी दिखाया कि कैसे 'मेड इन इंडिया' सिर्फ तकनीक या व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें भावनाओं, विरासत और आत्मा की झलक भी शामिल होती है।


यह रणनीति न सिर्फ भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ को मजबूत करती है, बल्कि भारत की परंपरागत कलाओं के लिए नए बाजार भी खोलती है।


प्रधानमंत्री मोदी की 5 देशों की यात्रा ने यह साबित किया कि भारत अब केवल एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति नहीं है, बल्कि संस्कृति, आध्यात्मिकता और कारीगरी के क्षेत्र में भी दुनिया का नेतृत्व करने की क्षमता रखता है।


राम मंदिर की चांदी की प्रतिकृति हो, मधुबनी की परंपरागत पेंटिंग हो, या फिर वारली कला का नमूना, हर तोहफा अपने साथ एक कहानी लेकर गया और भारत की विविधता को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उकेर गया।


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