Big Beautiful Bill से अमेरिका पीछे, चीन सुपरपावर बनने की राह पर!

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पसंदीदा कानूनों में से एक, 'Big Beautiful Bill' आखिरकार पारित हो गया है। गुरुवार देर रात अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने इस बिल को 218-214 के बेहद करीबी अंतर से मंजूरी दे दी।


इस टैक्स विधेयक को अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर का इंतज़ार है। ट्रंप इसे अपने दूसरे कार्यकाल की सबसे बड़ी जीत मान रहे हैं। लेकिन विशेषज्ञों की राय कुछ और ही कहती है।


इस बिल की सबसे बड़ी आलोचना यह है कि यह अमेरिका को भविष्य से हटाकर अतीत की ओर धकेल रहा है।


क्लीन एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहनों और ग्रीन टेक्नोलॉजी की दौड़ में दुनिया जहां तेजी से आगे बढ़ रही है, वहीं अमेरिका अब उस पथ से हटता दिख रहा है।


यह वही बिल है, जिसके चलते ट्रंप और टेस्ला प्रमुख एलन मस्क के बीच रिश्तों में खटास आ गई थी।


AI और क्लीन एनर्जी के युग में पुरानी सोच


मौजूदा समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था एक ऐसे मोड़ पर है जहां स्वच्छ ऊर्जा (clean energy), बैटरी स्टोरेज और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मांग तेज़ी से बढ़ रही है।


ऐसे में अमेरिका जैसे देश का इन तकनीकों से मुंह मोड़ लेना न केवल चौंकाने वाला है बल्कि खुद को नुकसान पहुंचाने वाला भी है।


ट्रंप का नया बिल सोलर, विंड एनर्जी और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर दी जाने वाली टैक्स छूटों को धीरे-धीरे खत्म करता है। इसका सीधा असर इन सेक्टर्स में निवेश और विकास पर पड़ेगा।


टेक्सास जैसे राज्यों में जो हाल ही में क्लीन एनर्जी में भारी निवेश देख चुके हैं, उन्हें अब बड़ा झटका लग सकता है।


एलन मस्क ने बताया ‘विनाशकारी बिल’


टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने इस बिल को "utterly insane and destructive" कहा है। मस्क का तर्क है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और बैटरी स्टोरेज जैसे सेक्टर्स पर टैक्स क्रेडिट हटाकर सरकार भविष्य की तकनीकों को नुकसान पहुंचा रही है।


उनका मानना है कि यह कानून अमेरिका को ऊर्जा और तकनीक की वैश्विक प्रतिस्पर्धा से बाहर कर देगा।


कैसे फायदा उठाएगा चीन?


जब अमेरिका स्वच्छ ऊर्जा सेक्टर से पीछे हट रहा है, ठीक उसी समय चीन इन क्षेत्रों में आक्रामक निवेश कर रहा है।


सौर पैनल, बैटरियों और इलेक्ट्रिक वाहनों में चीन पहले से ही लीडर है। अब अमेरिका की इस नीति से उसे बाजार और तकनीक दोनों में और बढ़त मिल सकती है।


चीन न केवल ग्रीन टेक्नोलॉजी में आगे है बल्कि वह अब खुद को 'Electrostate' यानी एक ऐसी अर्थव्यवस्था के रूप में बदल रहा है जो पूरी तरह बिजली और स्वच्छ तकनीकों पर आधारित हो।


इससे वह अमेरिकी आर्थिक दबाव और व्यापारिक प्रतिबंधों से खुद को काफी हद तक बचा सकता है।


बिल के संभावित खतरनाक परिणाम


इस कानून के प्रभावों को लेकर विशेषज्ञों की चेतावनियां भी आ रही हैं:


  1. बिजली की कीमतों में उछाल: ऊर्जा विशेषज्ञों के अनुसार, इस कानून से 2035 तक थोक बिजली दरों में 50% तक इजाफा हो सकता है।


  1. रोज़गार पर खतरा: अनुमान लगाया जा रहा है कि 2030 तक लगभग 8।3 लाख स्वच्छ ऊर्जा से जुड़ी नौकरियां या तो खत्म हो जाएंगी या कभी अस्तित्व में नहीं आ पाएंगी।


  1. तकनीकी नेतृत्व की हानि: अमेरिका जो तकनीक और ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बना हुआ था, अब चीन के पीछे छूट सकता है।


‘भविष्य का सपना’ अब चीन की मुट्ठी में


फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि चीन ने पिछले कुछ वर्षों में 10,000 टेरावॉट घंटे से ज्यादा बिजली उत्पादन क्षमता हासिल की है, जबकि अमेरिका 2000 के बाद से सिर्फ 500 टेरावॉट घंटे ही बढ़ा पाया है। ये आंकड़े साफ संकेत देते हैं कि कौन सी दिशा में कौन सा देश जा रहा है।


चीन के पास आज दुनिया की सबसे बड़ी बैटरी उत्पादन क्षमता है। इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर में BYD जैसी कंपनियां अब टेस्ला को टक्कर दे रही हैं।


AI सेक्टर में भी चीन भारी निवेश कर रहा है, जिसे मजबूत ऊर्जा सपोर्ट की ज़रूरत होती है, ठीक वही ज़रूरत जिसे ट्रंप के बिल ने अमेरिका में कमजोर कर दिया है।


विशेषज्ञों की राय


एटलस पब्लिक पॉलिसी के ऊर्जा विशेषज्ञ निक निग्रो का कहना है, "यह बिल हमें वैश्विक ऊर्जा प्रतिस्पर्धा से पीछे धकेल देगा।"


उनका मानना है कि अमेरिका स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी लीडरशिप खो देगा और इसका फायदा सीधे-सीधे चीन को मिलेगा।


अमेरिका के लिए चेतावनी का वक्त


यह बिल एक चेतावनी की तरह है। ऊर्जा नीति केवल आर्थिक नहीं, रणनीतिक भी होती है।


जहां एक ओर चीन अपनी ऊर्जा सुरक्षा और तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है, वहीं अमेरिका का यह कदम उसके भविष्य को संकट में डाल सकता है।


आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ।

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