भारी टैरिफ से टूटी एशियाई इकोनॉमी, भारत को मिला फायदा उठाने का मौका!

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बांग्लादेश, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे देशों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाए गए हैं, जिससे इन देशों का कपड़ा निर्यात संकट में आ गया है।


वहीं, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि यह भारत के लिए कपड़ा निर्यात बढ़ाने और वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने का सुनहरा मौका है।


कैसे भारत के लिए बन सकती है यह टैरिफ नीति ‘लॉटरी’?


अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा कपड़ा आयातक है, लेकिन भारत की हिस्सेदारी वहां महज 6% है। SBI की रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत इस हिस्सेदारी को सिर्फ 5% और बढ़ा लेता है, तो इससे देश की GDP में 0.1% की वृद्धि हो सकती है।


इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा, निर्यात कमाई में इजाफा होगा और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।


भारत पहले से ही रसायन, वस्त्र और कृषि क्षेत्रों में वैश्विक सप्लाई चेन का अहम हिस्सा है। ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी ने भारत को और गहराई से इन सेक्टर्स में पैर जमाने का मौका दे दिया है।


बांग्लादेश-कंबोडिया-इंडोनेशिया: क्यों टूट रही है रीढ़?


2024 के आंकड़े बताते हैं कि:


  • बांग्लादेश: कुल कपड़ा निर्यात का 88.2% अमेरिका को जाता है।

  • कंबोडिया: 30.8% कपड़ा अमेरिका को।

  • इंडोनेशिया: 15.3% कपड़ा अमेरिका को।


ट्रंप के 35% टैरिफ के चलते इन देशों से आयात महंगा हो गया है। बांग्लादेश, जिसकी अर्थव्यवस्था टेक्सटाइल पर टिकी है और जो करीब 4 मिलियन लोगों को रोजगार देता है, उसे सबसे ज्यादा झटका लगा है। कंबोडिया और इंडोनेशिया की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता भी बुरी तरह प्रभावित हुई है।


भारत क्यों है सबसे बेहतर विकल्प?


भारत पर फिलहाल केवल 10% का बेसलाइन टैरिफ लागू है, जो अमेरिका के लिए भारतीय वस्त्रों को सस्ता और आकर्षक बनाता है। इसके अलावा:


  • भारत के पास मजबूत टेक्सटाइल इन्फ्रास्ट्रक्चर है

  • कुशल श्रमिक बल

  • विविध रेंज के उत्पाद

  • सरकार द्वारा पीएलआई (Production Linked Incentive) जैसी स्कीमों का समर्थन


यह सभी फैक्टर भारत को अमेरिका के लिए एक भरोसेमंद और दीर्घकालिक आपूर्तिकर्ता बना सकते हैं।


सिर्फ कपड़ा ही नहीं, ये सेक्टर भी होंगे फायदे में


SBI की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केवल वस्त्र उद्योग ही नहीं, बल्कि खेती, डेयरी, मांस, फूड प्रोसेसिंग और लेदर जैसे क्षेत्रों में भी भारत नए मौके पकड़ सकता है।


इन देशों से आयात महंगा होने पर अमेरिका को विकल्प चाहिए, और भारत के पास यह भरने की पूरी क्षमता है।


क्या करना होगा भारत को?


  • रणनीतिक ट्रेड डील्स करने होंगे

  • लॉजिस्टिक्स और बंदरगाह इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारना होगा

  • बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं टेक्सटाइल हब्स में पुख्ता करनी होंगी

  • MSMEs और क्लस्टर-आधारित उत्पादन को बढ़ावा देना होगा

  • फास्ट ट्रैक इक्सपोर्ट क्लीयरेंस और डिजिटल सपोर्ट


यदि ये कदम तेजी से उठाए जाते हैं, तो भारत आने वाले वर्षों में अमेरिका के टॉप 3 टेक्सटाइल आपूर्तिकर्ताओं में शामिल हो सकता है।


भारत के पास है अवसर, बस उठाने की देर है


SBI की रिपोर्ट स्पष्ट रूप से दिखाती है कि वैश्विक व्यापार के इस नए परिदृश्य में भारत के पास बढ़ने का ऐतिहासिक अवसर है।


बांग्लादेश, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे देश जिन मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, वही भारत के लिए अवसर बन सकते हैं, बशर्ते हम रणनीति से आगे बढ़ें।


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