गाजियाबाद होटल में कर्मचारी ने रोटियों में थूक मिलाई, पुलिस ने FIR दर्ज की

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गाजियाबाद के विजय विहार रोड पर स्थित करीम होटल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। होटल के एक कर्मचारी ने रोटी बनाते समय उन पर थूक मिलाया और फिर इन्हें ग्राहकों को परोसा। यह घटना सोमवार को वीडियो में कैद हो गई, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

शिकायतकर्ता की पहल: पुलिस ने FIR दर्ज की

दिल्ली के करावल नगर निवासी राहुल पचौरी ने घटना की सूचना मिलने के बाद होटल जाकर मामले की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि होटल के मालिक शाहरूख ने कारीगर से पूछताछ करने के बजाय झगड़ा शुरू कर दिया। इसके बाद राहुल ने अगली सुबह अंकुर विहार थाना में शिकायत दी, जिस पर पुलिस ने वीडियो के आधार पर FIR दर्ज की। आरोपी कर्मचारी अभी फरार है।

वीडियो में कर्मचारी का व्यवहार

वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कर्मचारी हंसते हुए रोटी पर थूक रहा है और फिर उसे तंदूर में डाल रहा है। यह रोटियां सीधे ग्राहकों को परोसी जा रही थीं। घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने वीडियो फोरेंसिक लैब में भेजकर जांच शुरू कर दी है।

यूपी सरकार ला रही सख्त कानून

उत्तर प्रदेश सरकार इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कानून ला रही है। नए कानून के तहत खाना-पीना दूषित करने वालों को 10 साल तक की जेल और आर्थिक दंड का प्रावधान होगा।

कानून की मुख्य बातें:

ग्राहक को यह अधिकार होगा कि वह खाने की सामग्री और उसमें डाली गई सभी सामग्री की जानकारी जान सके।

ग्राहक को शक होने पर पुलिस में शिकायत करने का अधिकार मिलेगा।

होटल, रेस्टोरेंट और स्ट्रीट वेंडर्स पर सीसीटीवी कैमरा और पहचान पत्र अनिवार्य होंगे।

रसोई में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए सिर ढकना, मास्क और दस्ताने पहनना अनिवार्य होगा।

पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई मामले

उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ महीनों में खाने-पीने की वस्तुओं में थूक या यूरिन मिलाने की घटनाएं सामने आई हैं। गाजियाबाद, सहारनपुर और शामली में ऐसे मामले प्रकाश में आए। लेकिन पहले ठोस कानून की कमी के कारण आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हो पाई।

सीएम योगी का बयान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऐसी घटनाएं वीभत्स और अमानवीय हैं। इससे केवल लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है बल्कि सामाजिक सौहार्द भी बिगड़ता है। उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों की पवित्रता बनाए रखने के लिए सख्त कानून जरूरी है।

बहरहाल, यह मामला दर्शाता है कि खाने-पीने की वस्तुओं में दोष या दूषित सामग्री मिलाना केवल अपराध ही नहीं बल्कि सामाजिक और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। नए कानून के लागू होने से उपभोक्ताओं को सुरक्षा और जानकारी का अधिकार मिलेगा और असामाजिक तत्वों पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित होगी।

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