बिहार में चुनावी माहौल पूरी तरह से गरमा चुका है। नेता रैलियों और यात्राओं के जरिए जनता के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं, लेकिन पटना से लेकर दिल्ली तक बंद कमरों में असली माथापच्ची चल रही है। यह माथापच्ची है सीटों के बंटवारे की, जो बिहार के दो सबसे बड़े गठबंधनों - NDA और महागठबंधन, दोनों के लिए सिरदर्द बनी हुई है। हर पार्टी अपने लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें चाहती है, जिससे गठबंधन के अंदर ही खींचतान का माहौल बना हुआ है। NDA में 'बड़े भाई' की भूमिका पर सस्पेंस NDA के भीतर सीटों का समीकरण काफी दिलचस्प हो गया है। 2020 के चुनाव में JDU 115 और BJP 110 सीटों पर लड़ी थी, जिसमें नीतीश कुमार की पार्टी 'बड़े भाई' की भूमिका में थी। इस बार भी कहा जा रहा है कि लगभग यही फॉर्मूला रहेगा, लेकिन BJP के सहयोगी दल इस बार ज्यादा सीटों के लिए दबाव बना रहे हैं ।सबसे ज्यादा चर्चा में चिराग पासवान की पार्टी LJP (रामविलास) है, जो 40 सीटों तक की मांग कर रही है। पार्टी का कहना है कि 2020 में अकेले लड़कर उन्होंने 6% वोट हासिल किए थे, इसलिए इस बार उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता । वहीं, जीतन राम मांझी की 'हम' और उपेंद्र कुशवाहा की RLM भी अपने लिए सम्मानजनक सीटों की उम्मीद कर रही हैं। सूत्रों की मानें तो एक फॉर्मूला यह बन सकता है कि JDU 102, BJP 101, LJP (आर) 20, 'हम' 10 और RLM 10 सीटों पर चुनाव लड़े । हालांकि, इस पर अभी अंतिम मुहर लगनी बाकी है। महागठबंधन में भी सीटों पर घमासानदूसरी तरफ, महागठबंधन (INDIA गठबंधन) में भी सीटों को लेकर खींचतान जारी है। RJD, कांग्रेस, लेफ्ट पार्टियां और मुकेश सहनी की VIP पार्टी के बीच बैठकों का दौर चल रहा है। 2020 में 70 सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस को इस बार RJD 50 से 55 सीटें ही देना चाहती है, हालांकि माना जा रहा है कि कांग्रेस 60 सीटों से कम पर राजी नहीं होगी ।इस बीच, मुकेश सहनी की VIP पार्टी ने 50 सीटों की मांग करके सबको चौंका दिया है। वहीं, चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस की पार्टी LJP भी महागठबंधन का हिस्सा बन सकती है, जिससे समीकरण और भी जटिल हो गए हैं । 2020 में RJD 144 सीटों पर लड़कर 75 सीटें जीती थी और सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि कांग्रेस 70 में से सिर्फ 19 सीटें ही जीत पाई थी। RJD इस बार भी लगभग 140 सीटों पर लड़ने की तैयारी में है । कब सुलझेगा यह चुनावी गणित?दोनों गठबंधनों के नेता दावा कर रहे हैं कि जल्द ही सीटों का बंटवारा सुलझा लिया जाएगा। महागठबंधन में 20 सितंबर तक तस्वीर साफ होने की उम्मीद है, वहीं NDA में भी जल्द ही बैठक होने वाली है । यह तय है कि सीटों का यह बंटवारा ही तय करेगा कि कौन सा गठबंधन कितनी मजबूती से चुनाव लड़ेगा। अगर सीटों की यह गुत्थी नहीं सुलझी, तो कई नेता नाराज होकर पाला भी बदल सकते हैं, जिससे बिहार की चुनावी लड़ाई और भी दिलचस्प हो जाएगी। Comments (0) Post Comment
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