ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी

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पिछले 24 घंटों में ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने फिलिस्तीन को औपचारिक रूप से एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दे दी है। इस कदम के बाद फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले देशों की संख्या करीब 150 हो गई है।ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा कि दो राष्ट्र समाधान ही क्षेत्र में स्थायी शांति का रास्ता है। पुर्तगाल के विदेश मंत्री पाउलो रेंजेल ने भी कहा कि फिलिस्तीन को मान्यता देना ही शांति सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका है।

इजराइल पर बढ़ा दबाव

इस फैसले के बाद गाजा में मानवीय संकट कम करने का दबाव इजराइल पर बढ़ गया है। हालांकि, अमेरिका अभी भी फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं देता। फ्रांस ने भी ऐलान किया है कि वह इस हफ्ते संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के पक्ष में वोट करेगा।

इजराइली प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया 

इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश मानना आतंकवाद को इनाम देने जैसा है। उन्होंने चेतावनी दी कि जॉर्डन नदी के पश्चिम में फिलिस्तीनी राज्य नहीं बनेगा। नेतन्याहू ने वेस्ट बैंक में यहूदी बस्तियों को दोगुना करने और इसे और बढ़ाने की योजना भी साझा की।75%

देशों ने दी मान्यता 

संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से करीब 75% देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता दे दी है। फिलिस्तीन को यूएन मेंपरमानेंट ऑब्जर्वर स्टेटका दर्जा प्राप्त है। इसका मतलब है कि इसे संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रमों में भाग लेने की अनुमति है, लेकिन वोटिंग का अधिकार नहीं।


ब्रिटेन और कनाडा की टिप्पणियां

ब्रिटिश पीएम ने कहा कि यह कदम इजराइल को सजा देने के लिए नहीं लिया गया, बल्कि शांति प्रक्रिया को बचाने के लिए उठाया गया है। ब्रिटिश डिप्टी पीएम डेविड लैमी ने बताया कि मान्यता सिर्फ टू-स्टेट सॉल्यूशन की उम्मीद बनाए रखने का हिस्सा है।

कनाडा के पीएम मार्क कार्नी ने कहा कि यह कदम मध्य पूर्व में शांति लाने और फिलिस्तीन को लोकतांत्रिक देश बनाने की दिशा में है। कनाडा ने स्पष्ट किया कि यह कदम हमास का समर्थन नहीं करता।

ऑस्ट्रेलिया का समर्थन

ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बानीज ने कहा कि उनका देश फिलिस्तीनी लोगों की स्वतंत्रता की इच्छा का सम्मान करता है। उनका कहना था कि यह कदम टू-स्टेट सॉल्यूशन के लिए पुरानी कोशिशों को दर्शाता है, जो इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शांति का रास्ता है।

फिलिस्तीन की प्रतिक्रिया और अमेरिकी स्थिति

फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास और विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के फैसले का स्वागत किया। वहीं, अमेरिका ने फिलिस्तीन को अभी भी मान्यता नहीं दी है और अपने समर्थन को फिलिस्तीनी अथॉरिटी तक सीमित रखा है।

इतिहास और महत्व

ब्रिटेन और फ्रांस का यह कदम महत्वपूर्ण है क्योंकि ये दोनों देश G7 और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं। ब्रिटेन ने 1917 में बाल्फोर घोषणापत्र के जरिए यहूदियों के लिए देश बनाने का समर्थन किया था। अब ब्रिटेन का मानना है कि फिलिस्तीन को मान्यता देना टू-स्टेट सॉल्यूशन को बचाने और शांति स्थापित करने का जरूरी कदम है।

 

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