पुतिन-मोदी टेलीफोन वार्ता: अलास्का में ट्रंप से मुलाकात पर साझा की राय

सोमवार, 18 अगस्त 2025 का दिन भारत और रूस के रिश्तों के लिहाज़ से खास रहा। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेलीफोन पर एक ऐसी बातचीत की, जिसने दोनों देशों की गहरी दोस्ती और वैश्विक राजनीति में उनकी अहमियत को एक बार फिर रेखांकित किया। खास बात यह रही कि पुतिन ने हाल ही में अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से हुई अपनी मुलाकात पर भी पीएम मोदी से राय साझा की।

 भारत-रूस रिश्तों की मज़बूती

 आपको बता दें, भारत और रूस दशकों से एक-दूसरे के भरोसेमंद सहयोगी रहे हैं। रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष और व्यापार के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच गहरे रिश्ते हैं। टेलीफोन वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने इस साझेदारी को और आगे ले जाने की प्रतिबद्धता जताई। विशेष रूप से रक्षा सौदों और ऊर्जा परियोजनाओं को गति देने पर चर्चा की गई। पुतिन और मोदी दोनों ने माना कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में भारत-रूस संबंध स्थिरता और भरोसे का प्रतीक हैं।

 वैश्विक परिदृश्य पर चर्चा

 बता दें, वार्ता में सिर्फ द्विपक्षीय मुद्दे ही नहीं बल्कि वैश्विक घटनाक्रम भी केंद्र में रहे। दरअसल रूस और अमेरिका के बीच रिश्ते लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं। ऐसे में अलास्का में पुतिन और ट्रंप की मुलाकात अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक अहम घटना मानी गई। जिसके बाद अब पुतिन ने इस मुलाकात के अनुभव और विचार पीएम मोदी के साथ साझा किए। उन्होंने बताया कि किन मुद्दों पर अमेरिका और रूस के बीच मतभेद हैं और किन विषयों पर आगे सहयोग की संभावनाएं बन सकती हैं।

 भारत के लिए महत्व

 देखिए, भारत की विदेश नीति हमेशा से संतुलन पर आधारित रही है। एक ओर भारत अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी गहरा कर रहा है, वहीं दूसरी ओर रूस उसके सबसे पुराने सहयोगियों में से एक है। ऐसे में पुतिन का पीएम मोदी के साथ अपनी अमेरिका मुलाकात के विचार साझा करना यह दर्शाता है कि रूस भारत को एक अहम और भरोसेमंद साझेदार मानता है। भारत के लिए यह जानकारी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रूस और अमेरिका दोनों के साथ अपने रिश्तों को संभालते हुए आगे बढ़ना चाहता है।

 क्षेत्रीय और रणनीतिक मुद्दे

 वही बता दें, दोनों नेताओं ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा, ऊर्जा आपूर्ति और आतंकवाद जैसे विषयों पर भी चर्चा की। भारत और रूस दोनों ही आतंकवाद और कट्टरपंथ को वैश्विक शांति के लिए खतरा मानते हैं। ऊर्जा सहयोग के क्षेत्र में रूस ने भारत को भरोसा दिलाया कि वह स्थायी और सस्ते ऊर्जा स्रोत उपलब्ध कराने में मदद करता रहेगा।

 साथ ही पुतिन और मोदी के बीच हुई यह टेलीफोन वार्ता केवल एक औपचारिक बातचीत नहीं थी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की बढ़ती अहमियत का संकेत भी थी। पुतिन ने ट्रंप से अपनी मुलाकात पर पीएम मोदी को भरोसे में लेकर साफ किया कि रूस भारत को अपनी विदेश नीति में एक प्रमुख भागीदार मानता है।

 

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