वरिष्ठ कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मंगलवार को भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।दरअसल, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सुरक्षा अभियानों को ‘हिंदू प्रतीकों’ के नाम देकर लोगों के बीच सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है।उन्होंने ये बयान हाल ही में ‘ऑपरेशन महादेव’ और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे सैन्य कोडनेम को लेकर दिया, जिनका उपयोग सेना द्वारा आतंकवाद विरोधी अभियानों में किया गया था।'धार्मिक प्रतीकों के नाम से हो रहा भटकाव'चव्हाण ने सवाल उठाया कि क्या किसी और देश में सैन्य अभियानों को धर्म से जोड़ा जाता है?उन्होंने कहा कि चाहे विश्व युद्ध हो या आधुनिक सैन्य अभियान, दुनिया में कहीं भी अभियानों को 'ईसाई' नाम नहीं दिए जाते।वहीं भारत में अब अभियानों के नाम 'महादेव' और 'सिंदूर' जैसे धार्मिक प्रतीकों पर रखे जा रहे हैं, जिससे साफ है कि भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं को भुना रही है।'ऑपरेशन महादेव' और 'ऑपरेशन सिंदूर' को बताया राजनीतिक नामकरणआपको बता दें कि अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों के खिलाफ जो सैन्य कार्रवाई हुई थी, उसका नाम 'ऑपरेशन महादेव' रखा गया था।इसके अलावा हाल ही में संसद में जिस ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा हुई, उसे लेकर भी पृथ्वीराज चव्हाण ने सवाल उठाए।कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस नेता का दावा है कि इन नामों के जरिए भाजपा जनता को हिंदू बनाम मुस्लिम के खांचे में बांटने की कोशिश कर रही है।रक्षा मंत्री के जवाब पर जताई निराशाचव्हाण ने संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भाषण पर भी नाखुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार पारदर्शिता नहीं दिखा रही है।फिलहाल सरकार की ओर से ये स्वीकार जरूर किया गया कि हमारे कुछ लड़ाकू विमान गिरे, लेकिन जब पूछा गया कि कितने गिरे, तो कोई जवाब नहीं दिया गया।वहीं चव्हाण ने ये भी कहा कि अगर भारी कीमत पर खरीदे गए राफेल विमान पाकिस्तानी (या चीनी) विमानों से मार गिराए गए तो ये गंभीर चिंता का विषय है।कार्रवाई के सबूत और नुकसान का ब्योरा मांगाबेहतर जवाबदेही की मांग करते हुए चव्हाण ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वो इस अभियान में मारे गए आतंकियों की संख्या, भारत को हुए नुकसान, और की गई कार्रवाई के प्रमाण जनता के सामने रखे।दरअसल, उनका कहना है कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अनिल चौहान तक नुकसान की बात स्वीकार कर चुके हैं, तो केंद्र सरकार इस पर चुप क्यों है?उन्होंने दोहराया कि नामों से नहीं, परिणामों और पारदर्शिता से ही युद्ध और लोकतंत्र की जीत होती है।बहरहाल, आप क्या सोचते हैं इस खबर को लेकर, अपनी राय हमें नीचे कमेंट्स में जरूर बताएँ। Comments (0) Post Comment
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