ट्रंप का दावा खारिज: भारत-पाकिस्तान युद्ध रोकने की बात पर उठे सवाल

 अमेरिकी राजनीति में अपने विवादित बयानों के लिए मशहूर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तथाकथित परमाणु युद्ध को रोककर मई 2025 में सीजफायर करवाया। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में प्रेस से बात करते हुए कहा कि उन्होंने व्यापारिक दबाव का इस्तेमाल कर दोनों देशों को 24 घंटे में युद्ध रोकने के लिए मजबूर किया। उनके मुताबिक, "मैंने कहा, 'अगर आप लड़ते रहे, तो हम आपके साथ कोई व्यापार नहीं करेंगे। आपके पास 24 घंटे हैं।' दोनों देशों ने कहा, 'अब कोई युद्ध नहीं होगा।'" ट्रंप ने यह भी दावा किया कि सात जेट विमान गिराए गए थे और उन्होंने चार युद्धों को व्यापारिक नीतियों, विशेष रूप से 100% टैरिफ की धमकी के जरिए रोका। हालांकि, भारत और पाकिस्तान दोनों ने उनके इस बयान को पूरी तरह नकार दिया है।

 ट्रंप का बयान

 दरअसल, सोमवार (25 अगस्त 2025) को डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालात इतने गंभीर हो गए थे कि परमाणु युद्ध छिड़ने वाला था। ट्रंप के मुताबिक, उन्होंने दोनों देशों को साफ चेतावनी दी कि अगर लड़ाई जारी रही तो अमेरिका उनके साथ किसी भी तरह का व्यापार बंद कर देगा। उन्होंने यहां तक कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया और इस दबाव की वजह से दोनों देश पीछे हटे। खुद को "शांतिदूत" बताते हुए ट्रंप ने दावा किया कि वे कई बार व्यापार को हथियार बनाकर युद्ध टालने में सफल रहे हैं और इसी रणनीति ने दक्षिण एशिया को संभावित तबाही से बचा लिया।

 भारत ने किया सख्त खंडन

 हालांकि, भारत ने ट्रंप की इस बात को पूरी तरह नकार दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही संसद में स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ युद्धविराम किसी तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी का नतीजा नहीं था। यह फैसला दोनों देशों के सैन्य ऑपरेशन्स महानिदेशकों (DGMO) के आपसी संवाद और समझौते से लिया गया था।

 भारत का रुख हमेशा से यही रहा है कि उसके सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े फैसले किसी तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी से प्रभावित नहीं होते। मोदी सरकार ने स्पष्ट कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर किसी भी तरह की बाहरी मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा।

 पाकिस्तान ने भी ट्रंप को नकारा

 दिलचस्प बात यह है कि इस बार पाकिस्तान ने भी ट्रंप के दावे को गलत ठहराया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि इस्लामाबाद ने कभी भी अमेरिका या किसी अन्य तीसरे पक्ष से युद्धविराम में मध्यस्थता की मांग नहीं की। उन्होंने स्वीकार किया कि भारत के ऑपरेशनसिंदूरके दौरान हुए भारी नुकसान के बाद पाकिस्तान ने खुद सीजफायर की अपील की थी। अब इस बयान से साफ है कि ट्रंप के दावे का आधार कमजोर है और इसे पाकिस्तान भी मानने को तैयार नहीं है।

 बातचीत पर भारत का सख्त रुख

 हालांकि, पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत से बातचीत की इच्छा जताई है। लेकिन भारत का साफ कहना है कि जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकवाद को खत्म नहीं करता और सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ रोकने के ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक किसी तरह की बातचीत संभव नहीं है।

 बहरहाल, ट्रंप के इस बयान ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संबंधों को लेकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। लेकिन हकीकत यह है कि दोनों देशों ने उनके दावों को नकार दिया है। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम उनके आपसी सैन्य संवाद और रणनीतिक फैसलों का नतीजा था, कि किसी बाहरी देश की मध्यस्थता का।


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