प्रतापगढ़ के कुंडा क्षेत्र में विधायक राजा भैया (रघुराज प्रताप सिंह) और उनकी पत्नी भानवी सिंह के बीच चल रहे झगड़े का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। दशहरे पर राजा भैया ने अपने समर्थकों के साथ सामूहिक शस्त्रपूजन किया, जिससे भानवी सिंह ने सवाल उठाए कि इस तरह का प्रदर्शन क्या संदेश देता है।भानवी सिंह ने कहा कि राजा भैया अच्छे व्यक्ति हैं, लेकिन उनके आसपास कुछ लोग जैसे एमएलसी कुंवर अक्षय प्रताप सिंह (गोपाल जी) और आशिका ने उन्हें भ्रम में रखा है। उनका आरोप है कि ये लोग राजा भैया को अपने इशारों पर नचा रहे हैं।तलाक और कंपनी विवादभानवी सिंह और राजा भैया के बीच तलाक का मामला चल रहा है। 2023 में भानवी ने दिल्ली ईओडब्ल्यू में कुंवर अक्षय प्रताप सिंह के खिलाफ फर्जीवाड़े की FIR दर्ज कराई थी। आरोप है कि अक्षय ने भानवी की कंपनी पर कब्जा कर लिया और खुद को डायरेक्टर बना लिया। इसके अलावा, कंपनी के अधिकतर शेयर और कुछ प्रॉपर्टी नौकरों और अपने करीबी लोगों के नाम ट्रांसफर कर दिए गए।भानवी ने कहा कि तलाक भी अक्षय सिंह के कहने पर लगाया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि राजा भैया को हनी ट्रैप में फंसाया गया। भानवी का कहना है कि उनके पति का पक्ष लेने के बजाय राजा भैया अक्षय और आशिका के इशारों पर चल रहे हैं।अक्षय प्रताप सिंह का पक्षएमएलसी कुंवर अक्षय प्रताप सिंह ने इन आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि वे राजा भैया का साथ नहीं छोड़ सकते और हमेशा उनके भरोसेमंद रहे हैं। उनका कहना है कि भानवी सिंह का इरादा कभी रिश्ते को ठीक करने का नहीं रहा। अक्षय ने कहा कि उनके और भानवी के बीच पहले अच्छे संबंध थे, लेकिन तलाक और व्यक्तिगत मतभेदों के कारण अब दूरी बन गई।अक्षय ने स्पष्ट किया कि आशिका सिंह से उनका कोई संबंध नहीं है और वह केवल राजा भैया के भरोसे के साथ खड़े हैं। उन्होंने भानवी को सुझाव दिया कि यदि वे रिश्ते को ठीक करें तो वह अपने पद और बार्डर से हटने को तैयार हैं।अक्षय प्रताप का राजनीतिक और पारिवारिक बैकग्राउंडकुंवर अक्षय प्रताप सिंह का जन्म 14 अप्रैल 1970 को जामो (अमेठी) के राजघराने में हुआ। वे जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के सह-संस्थापक हैं और प्रतापगढ़ से 2022 से एमएलसी हैं। उनका राजा भैया से घनिष्ठ रिश्ता रहा है; बचपन से दोनों की दोस्ती रही और अक्षय को राजा भैया का ‘दाहिना हाथ’ माना जाता है।राजनीतिक करियर की बात करें तो उन्होंने 1998 में राजा भैया के समर्थन से पहली बार प्रतापगढ़ से एमएलसी चुनाव लड़ा और निर्दलीय जीत हासिल की। 2004 में लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर जीते और 2009 में हार का सामना किया। 2025 में उन्होंने राजा भैया के दोनों बेटों को जनसत्ता दल की सदस्यता भी दिलाई।विवादित घटनाएँकुंवर अक्षय प्रताप सिंह का नाम कई विवादों में भी आया:-1997 में फर्जी पते पर शस्त्र लाइसेंस लेने का मामला।-मार्च 2022 में प्रतापगढ़ एमपी-एमएलए कोर्ट से 7 साल की सजा, जिसे अगले दिन जमानत मिली।-जून 2014 में अमेठी के पूर्व राज्यमंत्री के बेटे महेंद्र प्रताप की हत्या में नामजद।-फरवरी 2023 में भानवी सिंह की FIR में कंपनी फर्जीवाड़ा का आरोप।बहरहाल, प्रतापगढ़ में राजा भैया और भानवी सिंह के बीच विवाद सिर्फ व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि इसमें राजनीतिक और आर्थिक मुद्दे भी जुड़े हैं। भानवी सिंह और अक्षय प्रताप सिंह के आरोप-प्रत्यारोप ने मामले को और जटिल बना दिया है। यह झगड़ा परिवार, राजनीति और व्यवसाय तीनों क्षेत्रों में असर डाल रहा है और आने वाले समय में इसका राजनीतिक और कानूनी असर देखने को मिलेगा। Comments (0) Post Comment
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